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सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे ॥ १३ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति एकादशोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति सप्तमोऽध्यायः
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं स:
रात के समय ये पाठ ज्यादा फलदायी माना गया है.
क्लींकारी काल-रूपिण्यै, बीजरूपे नमोऽस्तु ते।।
श्री वासवी कन्यका परमेश्वरी अष्टोत्तर शत नामावलि
इति श्रीरुद्रयामले गौरीतंत्रे शिवपार्वतीसंवादे कुंजिकास्तोत्रं संपूर्णम् ।
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
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श्री प्रत्यंगिर अष्टोत्तर शत नामावलि
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अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं ।
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः